बिहार के जनता परिवार महाठगबन्धन के ताज़ा राजनैतिक हालात पर कुछ लिखा गया...
क्या पुराना क्या नवेला देखिये
नीम पर चढ़ता करेला देखिये
रंग पहले ही नहीं था दाल में
स्वाद भी अब है कसैला देखिये
थी जहाँ खेती गुलाबों की कभी
आज उसका रूप मैला देखिये
कूक भरती थी कभी कोयल जहाँ
तीतरों का आज रेला देखिये
जो "समाजों" के मिले "वादी" यहाँ
देखिये झोला कि थैला देखिये
आइये, आ जाइए अब आप भी
बैठिये रंगीन मेला देखिये
खाइए चारा, जुगाली कीजिये
और पटना का तबेला देखिये
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०७:४६ अपराह्न, मंगलवार, २८ अप्रैल २०१५
क्या पुराना क्या नवेला देखिये
ReplyDeleteनीम पर चढ़ता करेला देखिये
रंग पहले ही नहीं था दाल में
स्वाद भी अब है कसैला देखिये
वाह! बढ़िया आइना दिखाया है आपने
शानदार रचना
हाँ, गठबंधन है या ठगबंधन यह जल्दी ही पता चल जाएगा, वैसे कविता जानदार बन पडी है...
ReplyDeleteआज की ब्लॉग बुलेटिन अप्रवासी की नज़र से मोदी365 :- ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
वाह !
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