Thursday, October 31, 2019

मेड चालीसा

*॥ अथ श्रीमेडेश्वरीचालीसास्तुतिः ॥*

दोहा:

नेति नेति कहि बेद भी जिसे न पावैं खोज।
हौं उसकी महिमा कहौं जीवनभर हर रोज॥१॥

पदपङ्कज तुम्हरे पड़ैं हमरे घर महुँ आन।
निजसेवक के हाल पर दीजै तो कछु ध्यान॥२॥

चौपाई:

जयतु जयतु जय मेड भवानी।
तव बतियाँ नहिं जायँ बखानी॥१॥

उमा रमा या हों ब्रह्माणी।
तीनों ही तुममें कल्याणी॥२॥

तुम ही अन्नपूरणा माता।
तव आसिष घरसागर-त्राता॥३॥

गाँधीजी की ऐनक तुमसे।
घर-भर की सब रौनक तुमसे॥४॥

मेड-हण्ट का काज बड़ेरा।
गली-गली में तुमको हेरा॥५॥

सौ जनमों के पुण्य फलाए।
तबहिं मेड का सुख जन पाए॥६॥

जिस पल से तुम घर में आओ।
सब बाधाएँ तुरत नसाओ॥७॥

पहले हफ़्ते चकमक-चकमक।
दूजे से सब अकमक-बकमक॥८॥

छुट्टी का है सीन निराला।
केस आत्मनिर्भरता वाला॥९॥

तुम जब चाहो आओ-जाओ।
मेड-यूनियन से धमकाओ॥१०॥

नॉस्टेल्जिया तिहारा भाई।
मेस की सब्जी याद दिलाई॥११॥

नमक और चीनी की बैरी।
चाय तिहारी सखी घनेरी॥१२॥

जैम-अचारों वाले डिब्बे।
सब तुमसे काँपते हिडिम्बे॥१३॥

तुम फुरती से हाथ चलाओ।
बर्तन में विम बार जमाओ॥१४॥

आगे-आगे झाड़ू मारो।
बिस्तर के नीचे न बुहारो॥१५॥

दिवस दोय तक भीजैं कपड़े।
रङ्ग उड़ैं सब हलके-तगड़े॥१६॥

बखत-जरूरत दरस न होवै।
तुम्हरी उपमा तुम्ह सम होवै॥१७॥

मातु कृपा तव बड़ अवलम्बा।
तुम्हरा रोष छुड़ावै दम्भा॥१८॥

आसमान में उड़ता पाओ।
तुरत धरा पर वापस लाओ॥१९॥

नयी रेसिपी हमसे सीखो।
कालोनी में जाय उलीचो॥२०॥

घर-घर तुम्हरी होय बड़ाई।
अल्पकाल बिद्या बहु पाई॥२१॥

अस अमोघ तव नाम प्रतापा।
कॉपीराइट तुम्हें न ब्यापा॥२२॥

अगर सूचना कुछ पा जाओ।
तुरत प्रसारण भी करवाओ॥२३॥

लगी-बुझी में बहुत प्रवीणा।
बिना नाद की नारद-वीणा॥२४॥

सासों को तुम साँसें देती।
बहुओं के बहुदुख हर लेती॥२५॥

ननदों की तुम बहुत दुलारी।
पड़ोसनों की प्राण-पियारी॥२६॥

वेदों की शिक्षा अपनाती।
कालोनी को कुटुम बनाती॥२७॥

हनूमान-भैरुँ बुलवावैं।
नवकन्या के साथ जिमावैं॥२८॥

हौं दसदुर्गा रूप मनावौं।
दसवीं में सबहीं कौ पावौं॥२९॥

जुग-जुग में तुम्हरी प्रभुताई।
हरिगीता तुम्हरी स्तुति गाई॥३०॥

जमराजा के एक मुनीमा।
चित्रगुप्त का काम सनीमा॥३१॥

जीवनभर जो करम कमावैं।
पास पहुँचते उसे गिनावैं॥३२॥

तुम उनकी बड़की महतारी।
मेड-महारानी जग-ख्वारी॥३३॥

तुम्हरा मन जो रीझै-खीझै।
सुरग-नरक इहलोक बणीजै॥३४॥

चौदह भुवनों की ठकुरानी।
सदगुन-अवगुन-निरगुन-खानी॥३५॥

षोडशप्रहरणधारिणि मैया।
पूर्णाङ्का भवतारिणि मैया॥३६॥

नाम प्रात-स्मरणीय तिहारा।
तव प्रभाउ अग-जग बिस्तारा॥३७॥

मन-क्रम-बचन तिहारी सरना।
सद्गति का सुख जाय न बरना॥६८॥

मेड महामाई की गाथा।
जो गावै सो रहै सनाथा॥३९॥

घरभर का जीवन सुख सरसै।
मातु तिहारी किरपा बरसै॥४०॥

दोहा:

मेड तिहारी मूरती चित महुँ रखी सजाय।
हर महिने आराधना हो एडवांस चढ़ाय॥३॥

शुभङ्करी सुखदायिनी मेडेश्वरी समीप।
बैठ करौं पद-बन्दना फल अभिलाष प्रतीप॥४॥

*॥ इति श्रीचेतसऋषिकृतं श्रीमेडेश्वरीचालीसा सम्पूर्णम् ॥*

कीर्तन: जप लो मेड, जप लो मेड, जप लो मेड मेड मेड!

जयकारा: बोलो मेड-महादरबार की ... जय!!
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~ अर्यमन चेतस

पूर्वाह्न ११:३४, बृहस्पतिवार, ३१ अक्तूबर २०१९
भुवनेश्वर, ओडिशा

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