Sunday, August 03, 2014

ये दोस्ती भी इश्क़ से कम तो नहीं रही

ये जो  भी चंद  शेर लिखे गए हैं, इनमें शायद साहित्य जैसा कुछ नहीं हो...मगर सच्चाई पूरी है..कथ्य को पूरी शिद्दत से जिया है, जाना है, महसूस किया है... मेरे ज़हन में उतर कर पढ़ियेगा तो शायद आप ख़ुद भी कुछ पुरानी यादों में गोते लगा आइयेगा... :)
 
रिश्तों में सुबह की हवा सी ताज़गी रही
ये दोस्ती भी इश्क़ से कम तो नहीं रही

दुनिया में चकाचौंध है रफ़्तार हर तरफ़
हम जब मिले, दिलों में वही सादगी रही

इक-दूसरे से जो कहा, किया है हमेशा
जो बात तब सही थी, अभी भी सही रही

जिस वक़्त से हम साथ हैं, तब से यही लगा-
मन में है उजाला, न कहीं तीरगी रही

बिन एक-दूसरे के न पूरे हुए हैं हम
तक़रार हुई खूब, न नाराज़गी रही

विश्वास एक हौंसला देता है साथ का
हम दूर हैं मगर वही पाकीज़गी रही

हर दौर में लिया है ज़माने ने इम्तिहान
जो दोस्ती की शै थी, वहीँ की वहीँ रही
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0416 Hours, Sunday, August 03, 2014

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