अन्धा है कानून, न इसको दीखे
लम्बे हाथों से भी किसको खींचे?
संविधान अविधान हुआ जाता है!
भारत का निर्माण हुआ जाता है!
आयुर्बन्धन की यह विषम कड़ी है
जघन्य अपराधों को छूट बड़ी है
भारत की बेटियाँ सिसकती जायें
हम क्यों हाथ धरे बैठे रह जायें?
निज-कर्तव्यों की कर लें अब रक्षा
इतिहासों ने नहीं किसी को बख्शा
बदलें गीता लोकतन्त्र की, आओ!
सीता को सुपुनीता करने आओ!
~चेतस
०५:२८ अपराह्न, रविवार, ०१ सितम्बर २०१३
राँची, झारखण्ड
लम्बे हाथों से भी किसको खींचे?
संविधान अविधान हुआ जाता है!
भारत का निर्माण हुआ जाता है!
Courtesy: Google |
आयुर्बन्धन की यह विषम कड़ी है
जघन्य अपराधों को छूट बड़ी है
भारत की बेटियाँ सिसकती जायें
हम क्यों हाथ धरे बैठे रह जायें?
निज-कर्तव्यों की कर लें अब रक्षा
इतिहासों ने नहीं किसी को बख्शा
बदलें गीता लोकतन्त्र की, आओ!
सीता को सुपुनीता करने आओ!
~चेतस
०५:२८ अपराह्न, रविवार, ०१ सितम्बर २०१३
राँची, झारखण्ड
वाकई कानून अंधा ही हो गया है..
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ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना ! आपको बहुत बहुत बधाई !
हिंदी
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सटीक आह्वान ...
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