Friday, May 22, 2015

हाँ, देखिये ...

बिहार के जनता परिवार महाठगबन्धन के ताज़ा राजनैतिक हालात पर कुछ लिखा गया...

क्या पुराना क्या नवेला देखिये
नीम पर चढ़ता करेला देखिये

रंग पहले ही नहीं था दाल में
स्वाद भी अब है कसैला देखिये

थी जहाँ खेती गुलाबों की कभी
आज उसका रूप मैला देखिये

कूक भरती थी कभी कोयल जहाँ
तीतरों का आज रेला देखिये

जो "समाजों" के मिले "वादी" यहाँ
देखिये झोला कि थैला देखिये

आइये, आ जाइए अब आप भी
बैठिये रंगीन मेला देखिये

खाइए चारा, जुगाली कीजिये
और पटना का तबेला देखिये
__________________________________
०७:४६ अपराह्न, मंगलवार, २८ अप्रैल २०१५

3 comments:

  1. क्या पुराना क्या नवेला देखिये
    नीम पर चढ़ता करेला देखिये

    रंग पहले ही नहीं था दाल में
    स्वाद भी अब है कसैला देखिये


    वाह! बढ़िया आइना दिखाया है आपने
    शानदार रचना

    ReplyDelete
  2. हाँ, गठबंधन है या ठगबंधन यह जल्दी ही पता चल जाएगा, वैसे कविता जानदार बन पडी है...

    आज की ब्लॉग बुलेटिन अप्रवासी की नज़र से मोदी365 :- ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete

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