Thursday, September 12, 2013

उसे माँ की तरह रहना बहुत ही खूब आता है

सुबह की शुरुआत..एक ताज़ा नज़्म दुनिया के सबसे खूबसूरत रिश्ते के नाम..बहुत कम लिखा है..लेकिन जो भी है..पढ़िए..

ज़रा देखो इधर आकर, ये कैसा शोर आता है
कि बढ़ जाती है धड़कन, कौन ऐसे मुस्कुराता है

बहुत दिन बाद आता हूँ मैं अपने घर के आँगन में
मुझे जब माँ नज़र आती है, बचपन दौड़ आता है

मेरे घर में कदम रखते उसे इक फ़िक्र होती है
औ' मेरी माँ का बेलन बस तुरत रोटी बनाता है 

वो चूल्हे की तपन भी माँ को ठण्डी ओस लगती है
कि जब-जब भी निवाला एक मेरे मुँह में जाता है

वो फिर-फिर पूछती है वाक़ये सारे बरस भर के
कि माँ को जान कर भी सब कभी ना चैन आता है

वो अपने काम सारे छोड़ कर आ बैठती है फिर
उसे माँ की तरह रहना बहुत ही खूब आता है

हुए जब रात के, आकाश में चन्दा नज़र आये
उतर कर हाथ में माँ के वो थपकी दे सुलाता है

मैं दिन छुट्टी के गिन लूँ तो उसे अच्छा नहीं लगता
वो माँ है न! उसे बेटे का केवल साथ भाता है
_______________________________________________
Written : 0802 Hours, Thursday, September 12, 2013




मेरी आवाज़ में सुनें यहाँ...
 

1 comment:

आपके विचार ……

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...